Supreme Court का बड़ा फैसला, राज्य सरकारें खनिज संपन्न भूमि पर लगा सकती हैं कर
Supreme Court ने खनिज समृद्ध राज्यों के पक्ष में बड़ा निर्णय सुनाया है। दरअसल, Supreme Court ने खनन मामलों में अपना फैसला सुनाया है। नौ न्यायाधीशों की पीठ ने यह निर्णय दिया कि राज्यों के पास खनिज संपदा वाले भूमि पर कर लगाने की क्षमता और अधिकार है। इस फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को लाभ होगा। जानकारी के अनुसार, नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 8-1 के अनुपात में यह फैसला सुनाया है।
Supreme Court ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
गुरुवार को ऐतिहासिक फैसले की सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि रॉयल्टी को कर के रूप में नहीं माना जा सकता है। रॉयल्टी कर की प्रकृति में नहीं आती है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम मानते हैं कि रॉयल्टी और लोन दोनों ही कर के तत्वों को पूरा नहीं करते हैं। भारत सीमेंट्स के फैसले को गलत ठहराया गया, जो रॉयल्टी को कर के रूप में मानता है। MMDR अधिनियम में खनिजों पर कर लगाने के राज्यों के अधिकार को सीमित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
राज्यों को मिलेगा लाभ
Supreme Court के इस निर्णय से उन राज्यों की सरकारों को लाभ होगा जहां खनिजों का उत्पादन होता है। इस फैसले ने पहले के आदेश को रद्द कर दिया है और खनन और खनिज उपयोग गतिविधियों पर रॉयल्टी के अधिकार को बरकरार रखा है। इससे राज्यों को अपने संसाधनों से राजस्व प्राप्त करने की स्वतंत्रता मिलेगी, जो उनके आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
Supreme Court का यह निर्णय राज्यों के अधिकारों की पुष्टि करता है और खनिजों के प्रबंधन में राज्य सरकारों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है। यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि राज्यों की आर्थिक स्वतंत्रता को भी सुनिश्चित करेगा।