Singrauli news एनटीपीसी विंध्याचल ने पहला मीथेनॉल ड्रॉप सफलतापूर्वक संश्लेषित किया
सिंगरौली। एनटीपीसी ने 6 नवम्बर 2024 को अपने 50वें स्थापना दिवस के मौके पर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, जब एनटीपीसी विंध्याचल में स्थित 10 टीपीडी सीओ 2-से-ग्रीन मीथेनॉल संयंत्र से पहली बार मीथेनॉल का ड्रॉप सफलतापूर्वक संश्लेषित किया गया। यह मीथेनॉल सीओ 2 और ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके तैयार किया गया है, और यह कंपनी के कोयला-आधारित पावर प्लांट से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों का हिस्सा है।
इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय पावर सेक्टर में कार्बन कैप्चर, उपयोग और संग्रहण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है। आने वाले दिनों में इस संयंत्र के संचालन से प्राप्त डेटा का उपयोग इन-हाउस विकसित उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) की जांच, विश्लेषण और स्केल-अप के लिए किया जाएगा, जो एनटीपीसी और पूरे पावर सेक्टर को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन कम करने में मदद करेगा। यह परियोजना भारत के 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में भी अहम भूमिका निभाएगी। सीओ 2 से-मीथेनॉल परियोजना में 20 टीपीडी सीओ 2 कैप्चर प्लांट, 2 टीपीडी पीईएम आधारित हाइड्रोजन (एच2) उत्पादन संयंत्र और 10 टीपीडी मीथेनॉल संश्लेषण संयंत्र शामिल हैं। इस परियोजना को एनटीपीसी के आरएंडड़ी विंग एनटीपीसी एनर्जी टेक्नालजी रिसर्च एलायंस ने डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग और अवार्ड किया है
और इसे एनटीपीसी विंध्याचल के ग्रीन केमिकल्स विभाग द्वारा एनटीपीसी एनर्जी टेक्नालजी रिसर्च एलायंस और टीम विंध्याचल के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है।मीथेनॉल के पहले संश्लेषण के इस ऐतिहासिक अवसर पर एनटीपीसी विंध्याचल के कार्यकारी निदेशक ई सत्य फणि कुमार की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक(प्रचालन एवं अनुरक्षण) समीर शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक(चिकित्सा) डॉ. बीसी चतुर्वेदी, महाप्रबंधक(आर एल आई) त्रिलोक सिंह, महाप्रबंधक(हरित रसायन एवं बीई) सुजय कर्मकार, महाप्रबंधक(प्रचालन) राजशेखर पाला, महाप्रबंधक(मेंटेनेंस एवं एडीएम) एजे राजकुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी शिरकत की। इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक (एनटीपीसी एनर्जी टेक्नालजी रिसर्च एलायंस) श्री शास्वतम और महाप्रबंधक(एनटीपीसी एनर्जी टेक्नालजी रिसर्च एलायंस) सुब्रत सरकार ने ऑनलाइन के माध्यम इस महत्वपूर्ण घटना का साक्षात्कार किया।यह उपलब्धि एनटीपीसी के प्रयासों को साबित करती है जो भारत को हरित ऊर्जा की दिशा में अग्रसर करने में योगदान दे रहे हैं।