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Sidhi news केन्द्रीय विद्यालय के छात्रो को जैविक खेती का दिया गया प्रशिक्षण

सीधी।  मशरूम उर्जा का एक अच्छा स्त्रोत एवं न्यूनतम कैलोरी भोजन है। क्योंकि इसमें पानी अधिक 90 प्रतिशत शुष्क अवयव कम 10 प्रतिशत और बसा कम 0.6 प्रतिशत है। वसा की कम मात्रा होने के कारण इसे मोटापा रोग, रक्त चाप एवं हृदय रोग के लिये उपयुक्त आहार माना गया है। सीधी जिले स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में यहां के वैज्ञानिक डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. अलका सिंह, डॉ. शैलेन्द्र सिंह, श्रीमती अमृता तिवारी एवं कृषि महाविद्यालय रीवा की रावे छात्राओ के द्वारा जिले के केन्द्रीय विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को जैविक खेती एवं मशरूम खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रोग्राम में रावे छात्राओ द्वारा बच्चो को जैविक खेती की परिभाषा, उद्वेष्य एवं लाभ के बारे में बताया गया

बच्चो को जैविक खेती के अंग जैसे जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, वर्मीकम्पोस्ट एवं दसपर्णी अर्क बनाने की विधि उपयोग की विधि एवं इनके लाभो के बारे में बातया गया। इसके बाद बच्चो को मशरूम की खेती कैसे करते है। इसका प्रेक्टिकल करवाया गया। बच्चो को बताया गया कि मशरूम की खेती के लिये गेहूं का भूसा, पॉलीथीन, मशरूम के बीज एवं कुछ रसायन जैसे कर्बेन्डाजिम एवं फार्मोलिन का उपयोग किया जाता है। मशरूम की खेती बहुत ही कम खर्च में की जा सकती है एवं इससे बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।

मशरूम की खेती बिना खेत वाले किसानो के लिये उपयुक्त होती है। इस प्रोग्राम में कृषि विज्ञान केन्द्र के सभी वैज्ञानिक केन्द्रीय विद्यालय के छात्र-छात्रायें, शिक्षक एवं कृषि महाविद्यालय रीवा की रावे छात्रायें भी शामिल हुई।

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