Sidhi news फर्जी बिल के नाम पर भनवारी पंचायत में हुआ भुगतान
सरपंच एवं रोजगार सहायक की मिलीभगत से किया गया कारनामा
Sidhi news जनपद पंचायत सिहावल अंतर्गत ग्राम पंचायत भनवारी में फर्जी बिल के माध्यम से भुगतान करने का मामला सामने आया है। ताज्जुव की बात यह है कि फर्जी बिल के साथ जीएसटी, सीएसटी बिल न जारी होने के बाद भी भुगतान प्रक्रिया पंचायत द्वारा करा दी गई है। ऐसे में संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही होने की उम्मीद मानी जा सकती है। जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में पहल करेंगे तो निश्चित रूप से फर्जी बिल जारी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
पंचायत में निर्माण कार्यों के नाम पर होटल सहित अन्य स्थानों में बिल की रसीद ली गई लेकिन न तो जीएसटी को पालन किया गया वहीं बिना डेट एवं नियम के विपरीत दुकानदारों से बिल लेने की जानकारी मिली है। इस मामले में सरपंच एवं रोजगार सहायक अब मुसीबत में फंस सकते हैं। हालांकि भुगातान हो सकता है लेकिन जांच होगी तो ऑडिट रिपोर्ट में उनके खिलाफ कार्यवाही होगी। वहीं जिम्मेदार अधिकारी की भी यह जिम्मेवारी होती है कि फर्जी बिल भुगतान कैसे हुआ इस मामले में उनके द्वारा क्या पहल की जाएगी यह भी बड़ा मामला होता है।
इन दुकानदारों के नाम पर किया गया भुगतान
भनवारी पंचायत में भुगतान करने को लेकर जो शिकायतें मिली हैं उसके तहत बीएन मोबाईल बस स्टैंड सीधी द्वारा 26 नवंबर 2023 में स्टेशनरी के नाम पर 25 हजार रुपए, वहीं पाठक स्वीट्स बहरी के नाम पर 2 अलग-अलग तारीख में 6 हजार 940 एवं 11 हजार 840 रुपए का भुगतान हुआ। इसी तरह विजय टेंट हाउस के नाम पर 12 जनवरी 2024 की तिथि पर 18600 इसके अलावा विजय टेंट हाउस में कई भुगतान हुए हैं।
वहीं उदय ट्रेडर्स सीधी के नाम पर भी 12 नवंबर 2024 के नाम पर 12850 रुपए का भुगतान किया गया। आरके साउंड एवं डीजे बहरी में भी बिना डेट एवं जीएसटी बिल दिए बिना 65 हजार का भुगतान हुआ। इसी तरह जय टेंट हाउस बहरी द्वारा 15 हजार 900 का भुगतान किया गया। संतोष फ्लॉवर्स डेकोरेशन द्वारा 12 जनवरी 2024 को 5600 रुपए का भुगतान हुआ। वहीं कोशव हार्डवेयर के नाम पर 11 हजार 900 का भुगतान किया गया। रामायण होटल बहरी में 26 जनवरी 2024 में मिष्ठान खरीदने के नाम पर 14 हजार 960 रुपए का भुगतान किया गया। इस तरह का फर्जी भुगतान करने की सर्वाधिक शिकायतें मिली हैं।
हमने नहीं दिया बिल, कैसे हो गया भुगतानः पाठक
पाठक स्वीट्स बहरी के संचालक ने बताया कि हमने कोई बिल नहीं दिए हैं। हमारे नाम पर फर्जी बिल बनाया गया है। पंचायत में भुगतान करा दिया गया इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है। वहीं उमेश गुप्ता ने कहा कि हम बिल लगाने के लिए नहीं दिए थे वह कैसे बिल का भुगतान किए हमें इसकी जानकारी नहीं है। इसके साथ ही अन्य दुकानदारों ने यह स्वीकारा कि हमारे दुकान के नाम पर पंचायत में फर्जी भुगतान किया गया है। कुल मिलाकर दुकानदारों की भी मिलीभगत है। अब कच्ची बिल देने की वजह से वह अपनी कमी छिपाने की बजाय दूसरों पर दोषारोपण कर रहे हैं।