Sidhi news सोन नदी में मुरैना से छोंड़ा गया नर घडिय़ाल जोगदहा घाट में अब बढेगी घडिय़ालों की संख्या, विभाग कर रही पहल

सोन नदी में मुरैना से छोंड़ा गया नर घडिय़ाल जोगदहा घाट में अब बढेगी घडिय़ालों की संख्या, विभाग कर रही पहल
Sidhi news सीधी। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य जोगदहा में राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य से लाए गए एक नर घडिय़ाल को 14 जनवरी को छोंड़ा गया है। नर घडिय़ाल के आने के बाद अब जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में घडिय़ालों की संख्या में इजाफा होगा। दरअसल 5 वर्षों से नर घडिय़ाल से विहीन जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में इससे पूर्व वर्ष 2019 में नर घडिय़ाल लाया गया था।
कई वर्षों से जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में नर घडिय़ाल न होने की वजह से घडिय़ालों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पा रही थी। इसको लेकर मीडिया में भी लगातार चिंताएं जताई जा रही हैं। घडिय़ालों की वंशवृद्धि रुकने के बाद विभाग के वरिष्ट अधिकारियों द्वारा काफी अरसे से पहल की जा रही थी कि राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना से सीधी नर घडिय़ाल लाया जाए। इसके लिए स्वीकृति भी काफी समय पहले ही मिल गई थी। लेकिन नर घडिय़ाल को सीधी लाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं बन पा रही थी।
14 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य मुरैना अभ्यारण्य से एक नर घडिय़ाल सीधी के जोगदहा घाट सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में लाया गया। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के अधीक्षक निकुंज पाण्डेय, सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के क्षेत्राधिकारी योगेन्द्र तिवारी, परिक्षेत्र सहायक राजेश सरजन, वनपाल जोखीलाल प्रजापति एवं मुरैना से आई टीम के समक्ष सुरक्षा पूर्वक नर घडिय़ाल को सोन नदी के जोगदहा अभ्यारण्य में छोंड़ा गया।
लगभग 15 वर्ष का है घडिय़ाल
अधिकारियों ने बताया कि मुरैना से लाए गए नर घडिय़ाल की लंबाई 13.5 मीटर एवं उसका वजन लगभग 3 से 4 किं्वटल एवं आयु लगभग 15-20 वर्ष होगी। बताते चलें कि सोन नदी के घडिय़ाल अभ्यारण्य बनने के बाद इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। प्रतिबंधित क्षेत्र की कुल लंबाई 209 किलोमीटर है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य जोगदहा में घडिय़ालों की संख्या 39 एवं मगरों की संख्या 48 है। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में तीन रेंज बनाए गए हैं। जिसमें रामपुर नैकिन, सीधी एवं चितरंगी रेंज शामिल हैं। घडिय़ालों की संख्या में लिए तीनों रेंजों में पर्याप्त कर्मचारियों की पदस्थापना है। साथ ही पदस्थ कर्मचारियों की टोलियां रात एवं दिन सोन नदी तट पर भ्रमण करती हैं। जिससे घडियालों एवं मगरों को किसी तरह का खतरा न रहे।