
Sidhi news सीधी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 सीधी-रीवा की सडक़ बेहतर होने एवं टनल की सुविधा मिल जाने के बाद यात्री बसों को अधिकतम डेढ़ घंटे में अपना सफर पूरा कर लेना चाहिए। विडंबना यह है कि इस मार्ग में अधिकांश एक्सप्रेस बसें संचालित हो रही हैं। जिनके द्वारा निर्धारित से ज्यादा किराया वसूलने के बाद भी यात्रियों को बीच में चढ़ाने और उतारने के खेल के चलते यह सफर ढाई घंटे में पूर्ण हो रहा है।
सीधी-रीवा का सफर करने वाले कई यात्रियों ने बताया कि सुबह से लेकर शाम 6 बजे तक चलने वाली अधिकांश बसें पूरी तरह से पैसेंजर बनी हुई हैं। ड्राइवर एवं कंडक्टर एक किलोमीटर जाने वाले यात्रियों को भी नहीं छोंड़ते। बस कर्मचारियों की मंशा यह है कि ज्यादा से ज्यादा किराया वसूला जाए। जिसका खामियाजा दूर जाने वाले यात्रियों को भुगतने की मजबूरी बनी हुई है। यात्रियों का कहना था कि सीधी-रीवा का किराया 120 रुपए प्रति यात्री वसूला जा रहा है।
जबकि जिला परिवहन विभाग की ओर से जारी किराया सूची के अनुसार सीधी से रीवा का किराया 85 रुपए ही होता है। फिर भी बस कंडक्टरों द्वारा यात्रियों से मनमानी तौर पर 120 रुपए कराया वसूला जा रहा है। उसको लेकर कई बार शिकायतें भी हुई लेकिन जिला एवं संभागीय परिवहन कार्यालय द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही एवं जांच करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। लिहाजा यात्रियों को निर्धारित से ज्यादा किराया देने के बावजूद सफर में भी लंबे समय तक बस में बैठने की मजबूरी बनी रहती है। जबकि एक्सप्रेस बसों को डेढ़ घंटे में सीधी-रीवा की दूरी तय करनी चाहिए। फिर भी जगह-जगह बसों के रुकने के कारण ऐसा आभाष होता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग में सीधी-रीवा के बीच चलने वाली बसें ग्रामीण रूट पर चल रही हैं। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से निष्क्रिय एवं उदासीन बने हुए हैं।

जांच में नहीं निकलता परिवहन विभाग का उडऩदस्ता
बसों के संचालन पर नजर रखने के लिए परिवहन विभाग का संभागीय उडऩदस्ता गठित है। उडऩदस्ता कभी भी सीधी जिले में संचालित होने वाली बसों पर निगरानी रखने के लिए नहीं निकलता। ऐसे में परिवहन विभाग के उडऩदस्ता की सक्रियता के केवल विभागीय कागजों तक ही बनी हुई है। इसी का नतीजा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 में चलने वाली बसें ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को बैठाने के लिए एक्सप्रेस परमिट होने के बाद भी पैसेंजर बस के रूप में दौड़ रही हैं। विडंबना यह है कि परिवहन विभाग के संभागीय मुख्यालय रीवा से उडऩदस्ता जांच के लिए सडक़ों में निकलता ही नहीं है।
इसी वजह से सीधी से लेकर रीवा पहुंचने तक एक्सप्रेस बसें जगह-जगह बेखौफ होकर रुकती हैं और एक-एक किलोमीटर के यात्रियों को चढ़ाने और उतारने का कार्य करती हैं। यात्री बसों को निर्धारित स्टेशन में ही रुकना चाहिए। लेकिन ज्यादा से ज्यादा सवारी बैठाने के फेर में इनका स्टेशन जगह-जगह अघोषित रूप से बना हुआ है। तत्संबंध में जानकारों का कहना है कि सीधी-रीवा के बीच नो डिले एक्सप्रेस के लिए परिवहन विभाग की ओर से परमिट जारी करने की व्यवस्था बनाने की जरूरत भी नहीं समझी जा रही है। जबकि इस व्यस्त मार्ग में हर तीन घंटे में नो डिले एक्सप्रेस का संचालन यात्रियों की सुविधा के लिहाज से होनी चाहिए।