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Rewa news वर्तमान चुनौतियों का सामना करने जनता को खुद आगे आना होगा: अजय खरे

प्रखर समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद , वैकल्पिक राजनीति के सूत्रधार, गांधी लोहिया जयप्रकाश विचार परंपरा के संवाहक किशन पटनायक की 20 वीं पुण्यतिथि के पावन अवसर पर स्थानीय पूनम जनमासा नेहरू नगर में समता संपर्क अभियान , नारी चेतना मंच , नारी तू नारायणी, समाजवादी कार्यकर्ता समूह , विंध्यांचल जन आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार 27 सितबर 2024 की दोपहर 3 बजे से वर्तमान चुनौतियों का सामना जनता कैसे करें विषयक व्याख्यान कार्यक्रम समाजसेविका नजमा बेगम की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने बताया कि किशन पटनायक ने सन 1962 में संबलपुर उड़ीसा संसदीय क्षेत्र से देश के सबसे कम उम्र के लोकसभा सदस्य थे और उन्होंने प्रधानमंत्री के खर्च का सवाल संसद में फिजूलखर्ची जैसे मुद्दे को लेकर तीखे सवाल किए थे।

23 मार्च 1977 को जब दिल्ली में कांग्रेस की पराजय के बाद जनता पार्टी की सरकार बन रही थी तब किशन पटनायक रीवा ‌में समाजवादी कार्यकर्ताओं के बीच में संवाद कर रहे थे। किशन जी की राजनीति वर्तमान दौर की राजनीति से बिल्कुल अलग थी। किशन पटनायक राजनेता होते हुए भी वह किसी भी तरह के चुनावी हथकंडों से बहुत दूर थे। 1977 और 1989 में दो मौके ऐसे आए थे जब संसद में आसानी से चुने जा सकते थे लेकिन वह सिद्धांत से समझौता करके किसी भी तरह का राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहते थे।

सन 2002 में उन्हें उड़ीसा से राज्यसभा में भेजने का प्रस्ताव था लेकिन उन्होंने इसके लिए भी साफ-साफ मना कर दिया। किशन पटनायक समाजवादी आंदोलन के ऐसे स्तंभ हैं जो विपरीत परिस्थितियों में आज ना रहते हुए भी वैचारिक रूप से बहुत मजबूत हैं। समाजवादी आंदोलन में उन्होंने बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया। आज जब संविधान और लोकतंत्र पर संकट गहरा रहा है तब किशन पटनायक के विचारों को लेकर पूरे देश में जरूरत महसूस की जा रही है। किशन पटनायक की किताब विकल्पहीन नहीं दुनिया निराशा के माहौल में आशा की किरण है। किशन पटनायक समाज के शोषित पीड़ित हर वर्ग की लड़ाई को सामाजिक न्याय तक ले जाना चाहते थे।

सांप्रदायिकता के गंदे खेल को लेकर उनकी चिंता हमेशा बनी रहती थी। कार्यक्रम को प्रमुख रूप से संबोधित करते हुए समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि किशन पटनायक देश की दशा और दिशा बदलने वैकल्पिक राजनीति की बात करते थे। वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए आज जनता को खुद आगे आना होगा। कार्यक्रम का संचालन नारी चेतना मंच की नेत्री मीरा पटेल ने किया। लोकतंत्र सेनानी रामायण पटेल नारी चेतना मंच की नेत्री नजमुननिशा सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर रामकृष्ण पटेल , समाजसेवी शेषमणि शुक्ला , सुरेंद्रनाथ माझी, उद्धव द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम में नारी चेतना मंच की नेत्री गीता महंत , समाजसेवी श्रवण प्रसाद नामदेव , विश्राम यादव , नारी तू नारायणी संगठन की नेत्री जरफिशां जबीन , हमीदन बानो , सुफिया, रश्मि नामदेव, पलक नामदेव आदि ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई।

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