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Rewa news राहुल गांधी और अखिलेश यादव है सनातन विरोधी, रीवा सांसद के बयान का वीडियो हो रहा है वायरल

Rewa news महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। हाल ही में, इस पावन आयोजन के दौरान राजनीतिक नेताओं के बयान और उनके रवैये ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा हमेशा से ही अपने बयानों के लेकर चर्चा में रहते है,राहुल गांधी और अखिलेश यादव को लेकर एक और बयान इन दिनों वायरल हो रहा है।

रीवा सांसद ने विपक्षी नेताओं पर सनातन धर्म को चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुछ नेता केवल चुनाव के समय हिंदू संस्कृति और परंपराओं का पालन करने का दिखावा करते हैं। उन्होंने विशेष रूप से राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे केवल कुर्ते के ऊपर जनेऊ पहनकर अपनी धार्मिकता प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं, जबकि वास्तविकता में उनका सनातन धर्म से कोई गहरा जुड़ाव नहीं है।

महाकुंभ: आस्था या राजनीति का अखाड़ा?

सांसद ने महाकुंभ को सनातन धर्म की शक्ति और जागरूकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन विश्वभर में हिंदू आस्था की महानता को दर्शाता है, जहां बिना किसी प्रयास के करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रबंधों की भी सराहना की, जो इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में सहायक रहे।

अखिलेश यादव और गंगा स्नान पर टिप्पणी

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद ने कहा कि गंगा मां सभी के पाप धोती हैं, लेकिन कुछ लोग इसे भी राजनीतिक रंग देने से नहीं चूकते। उन्होंने कहा कि गंगा को अपवित्र बताने वाले बयान हास्यास्पद और तर्कहीन हैं।

कांग्रेस और महाकुंभ उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता, विशेषकर राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी, अब तक महाकुंभ में शामिल नहीं हुए। उन्होंने इसे उनकी वास्तविक मानसिकता का परिचायक बताया और कहा कि कांग्रेस केवल चुनाव के समय ही हिंदू संस्कृति को अपनाने का दिखावा करती है।

इस वर्ष महाकुंभ में लाखों भक्तों ने गंगा स्नान किया, जिनमें बॉलीवुड सितारे और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए। सांसद ने कहा कि यह आयोजन हिंदू आस्था की शक्ति को दर्शाता है, और जो लोग इसमें भाग नहीं ले सके, वे एक पवित्र अवसर से वंचित रह गए।



महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की जीवंत धारा है। इस आयोजन को राजनीतिक विवादों से परे रखकर, इसकी आध्यात्मिकता और सामाजिक महत्व को समझना आवश्यक है। राजनीति में धर्म का उपयोग एक संवेदनशील विषय है, और इसे केवल वोट बैंक की रणनीति तक सीमित करना उचित नहीं। सनातन धर्म और उसकी परंपराओं का सम्मान हर व्यक्ति का कर्तव्य है, चाहे वह किसी भी राजनीतिक विचारधारा का समर्थक हो।

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