Rewa news महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, रीवा सेवा केंद्र द्वारा सर्वधर्म सद्भाव कार्यक्रम का भव्य आयोजन
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Rewa news महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, रीवा सेवा केंद्र द्वारा “सर्वधर्म सद्भाव” कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देना था। आयोजन में विभिन्न धर्मों और सामाजिक विचारधाराओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया, जिससे समाज में पारस्परिक एकता को सुदृढ़ किया जा सके।
इस प्रेरणादायक आयोजन का नेतृत्व बीके निर्मला दीदी ने किया, जिनकी आध्यात्मिक दृष्टि ने इस कार्यक्रम को सफल और प्रभावशाली बनाया। मंच संचालन वरिष्ठ राजयोगी बीके प्रकाश द्वारा किया गया, जिनकी ओजस्वी वाणी ने उपस्थित जनसमूह को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इस कार्यक्रम में रीवा सेवा केंद्र और आसपास के अन्य सेवा केंद्रों के ब्रह्माकुमारी भाई-बहनों की उत्साहपूर्ण सहभागिता रही, जिससे इसकी व्यापकता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई।
कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की गरिमामयी उपस्थिति ने इसकी महत्ता को और अधिक बढ़ा दिया। ईसाई धर्म प्रमुख फादर जान टाइडे ने प्रेम और सेवा की भावना को धर्म का मूल बताते हुए शांति और करुणा का संदेश दिया। सिंधी सेंट्रल पंचायत, रीवा के चेयरमैन श्री प्रहलाद सिंह ने सामाजिक एकता की आवश्यकता पर बल दिया। गुरुद्वारा प्रमुख ज्ञानी गुरु पाल सिंह जी ने सेवा और समर्पण को मानवता के उत्थान के लिए आवश्यक बताया।
डॉ. मुजीब खान ने इस्लामिक दृष्टिकोण से शांति, सहिष्णुता और भाईचारे पर प्रकाश डाला। धर्म परिषद संस्थापक श्री नारायण डिगवानी ने धार्मिक समन्वय और परस्पर सहयोग के महत्व को स्पष्ट किया। पूर्व जेल अधीक्षक डी. के. सारस ने नैतिकता और अनुशासन की भूमिका को रेखांकित किया। पूर्व कुलपति डॉ. एन. पी. पाठक ने शिक्षा और आध्यात्मिकता के पारस्परिक संबंध को समझाया, जबकि नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवाड़े ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए एक आवश्यक प्रयास बताया।
इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य प्रेम, करुणा और शांति का प्रसार करना है। विभिन्न धर्मगुरुओं और विद्वानों ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि आध्यात्मिकता किसी भी एक धर्म तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए एक समान रूप से उपयोगी मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब हम सच्चे अर्थों में आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाते हैं, तभी समाज में शांति और सौहार्द स्थापित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी संस्थान के कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रस्तुत नृत्य, गीत, संवाद प्रतियोगिता और नाट्य प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विशेष रूप से “व्यसन राज” नामक नाटक ने समाज में नशाखोरी की समस्या पर गहरी छाप छोड़ी। इस नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि राजयोग और आध्यात्मिक जागरूकता से व्यक्ति इन सामाजिक बुराइयों से मुक्त हो सकता है। इस प्रस्तुति ने स्पष्ट किया कि यदि समाज में आध्यात्मिक चेतना का विस्तार किया जाए, तो अनेक सामाजिक समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है।
कार्यक्रम के अंतर्गत आध्यात्मिक प्रदर्शनी और संग्रहालय का विमोचन भी किया गया, जिसमें गहरी आध्यात्मिक अवधारणाओं को चित्रों, कलाकृतियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सहज रूप में प्रस्तुत किया गया। यह प्रदर्शनी विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी रही, जो राजयोग और आत्मज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की इच्छा रखते हैं। इस प्रदर्शनी ने यह संदेश दिया कि साधना, ध्यान और सकारात्मक सोच के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
इस आयोजन की सफलता में बीके ममता दीदी, बीके बिंदु बहन, बीके पूर्णिमा दीदी, बीके ज्योति दीदी और बीके नम्रता दीदी , दीपक तिवारी प्राचार्य, बीके प्रमोद कुमार सोनी का विशेष योगदान रहा। उनके साथ-साथ सेवा केंद्र से जुड़े अन्य ब्रह्माकुमारी भाई-बहनों ने भी पूरे समर्पण और परिश्रम से इस कार्यक्रम को प्रभावी बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक चेतना की दृष्टि से भी अत्यंत सफल सिद्ध हुआ।
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कार्यक्रम के समापन पर यह स्पष्ट हुआ कि जब धर्म, कला, विज्ञान और सामाजिक चेतना का समन्वय किया जाता है, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि यदि सभी धर्मों के लोग पारस्परिक प्रेम, सहयोग और समझदारी से कार्य करें, तो एक शांतिपूर्ण, नैतिक और समरस समाज की स्थापना संभव है। यह आयोजन आध्यात्मिकता, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक प्रेरणादायक संगम बना, जिसने रीवा शहर में सर्वधर्म सद्भाव और आध्यात्मिक चेतना की एक नई लहर उत्पन्न की।