Rewa

Rewa news रीवा में बाणसागर परियोजना की नींव में समाहित महेश बाबू के योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता – प्रो. पी. के. सरकार “

Rewa news विंध्य क्षेत्र के प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के निकटतम सहयोगी स्व. महेश प्रसाद श्रीवास्तव एक ऐसे शख़्सियत थे  जिन्हें सत्ता का वैभव आजीवन आकर्षित नहीं किया! जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन के मूल्य सत्य, प्रेम, सादगी, ईमानदारी और सच्चाई को सिर्फ पढ़ा नहीं बल्कि अपने सम्पूर्ण जीवन में जिया था! यदि एक पंक्ति में उनके व्यक्तित्व को परिभाषित किया जाए तो कहा जाएगा कि महेश बाबू मूल्यों के पर्याय और ईमानदारी के प्रतिबिंब थे! उनका सम्पूर्ण जीवन अपने आप में हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है! रीवा में बाणसागर परियोजना को लाने में, तात्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गाँधी जी से रीवा के डेलिगेशन को मिलाने में जो भूमिका महेश बाबू ने निभाई थी उसको कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता! उस महामानव को आज़ हम सब विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है!

उक्त आशय के विचार विंध्य क्षेत्र की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था स्व. महेश बाबू स्मृति समिति एवं साइंशा सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में विंध्य क्षेत्र के प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. बाबू महेश प्रसाद श्रीवास्तव की 33वीं पुण्यतिथि पर आयोजित व्याख्यान माला में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ इतिहासकार एवं शिक्षाविद प्रो. पी. के. सरकार ने व्यक्त किए!

कार्यक्रम की अध्यक्षता महेश बाबू स्मृति समिति के अध्यक्ष इंजी. वशिष्ठ मुनि शर्मा ने की! मुख्य वक्ता के रूप में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एन. पी. पाठक उपस्थित रहे! जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में ज्वाइंट कमिश्नर रीवा संभाग दिव्या त्रिपाठी एवं महेश बाबू स्मृति समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, समाजसेवी एवं मीसाबंदी सुभाष श्रीवास्तव उपस्थित रहे! जबकि संचालन समिति के प्रचार सचिव साकेत श्रीवास्तव ने किया!

सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत स्व. महेश बाबू श्रीवास्तव के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके पश्चात प्रति वर्ष महेश बाबू की स्मृति में प्रदान किए जाने वाले सम्मान के क्रम में इस वर्ष का महेश बाबू स्मृति सम्मान – 2025 वयोवृद्ध गाँधीवादी, अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश करने वाले जीवट समाजसेवी सुरेंद्र मणि त्रिपाठी को प्रदान किया गया!

तत्पश्चात कवि एवं रचनाकार रामलखन केवट जलेश ने महेश बाबू के ऊपर केंद्रित ये रचना प्रस्तुत की-


“रीवा माटी की शान हमारे बाबूजी,

बने सेनानी पहचान हमारे बाबूजी

एक मार्च निर्वाण ले लिया दुनिया से,

सो गए तिरंगा तान हमारे बाबूजी”

कार्यक्रम के मुख्य  वक्ता प्रो. एन. पी. पाठक ने कहा कि- “मेरा भी सौभाग्य रहा है कि मुझे भी बाबूजी का सानिध्य प्राप्त हुआ! रीवा के लोग आज यकीन नही करेंगे कि रीवा के खीरा गांव में जन्मा एक शख्स कैसे नेहरू परिवार का एक अभिन्न अंग बन गया और इलाहाबाद के आनंद भवन से लेकर दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन तक का एक हिस्सा हो गया! और इसका साक्षात प्रमाण है कि जब पं नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित राजदूत बन कर रूस गयी तो महेश बाबू उनकी टीम में उनके साथ गए! और रूस से लौटते वक्त जब वे लंदन होते हुए वापस आ रहे थे तो जल आजाद जहाज में शंकर दयाल शर्मा से उनकी मुलाकात हुई, जो बाद में देश के राष्ट्रपति हुए! उनको नेहरू जी से मिलवाने वाले महेश बाबू ही रहे! आजादी के आंदोलन में राष्ट्रीय क्षितिज में जो भूमिका महात्मा गाँधी की थी विंध्य में वही भूमिका महेश बाबू ने निभाई! वास्तव में बाबूजी हमारी स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगे”

About The Author

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button
Social Share Buttons and Icons powered by Ultimatelysocial
Facebook
X (Twitter)
YouTube
Instagram
Telegram
WhatsApp