Mauganj news मऊगंज में मंदिर से लगी जमीन का अतिक्रमण हटाने को लेकर भारी बवाल हो गया है। यहां के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल मंगलवार की शाम अतिक्रमण गिरावने के लिए जेसीबी लेकर पहुंच गए इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और दूसरे पक्षों की तरफ से जमकर पत्थरबाजी किया गया है जिसमें से तीन लोग घायल हुए हैं इसके बाद भाजपा कार्यकर्ता धरने पर बैठे गए है। यहां तनाव की स्थिति को देखते हुए धारा (163) लागू की गई है।
इसके बाद घटनास्थल मौके पर कलेक्टर अजय श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक रसना ठाकुर पहुंची, जानकारी के अनुशासन प्रशासन का कहना था कि अतिक्रमण नियम के अनुसार हटाया जाएगा पर विधायक अभी हटाने पर अड़े रहे इसके बाद विधायक को जबरन वज्र वाहन से मऊगंज पहुंचाया गया कि मामला खटखरी चौकी के देवरा महादेव मंदिर का है
इस पूरे विवाद में 9 एकड़ 27 डिसमिल जमीन का जिक्र है यहां मुस्लिम समुदाय और दलित परिवारों के बीच 70 से 75 घर बने हैं मुस्लिम समुदाय के लोगों का ऐसा दावा है कि यहां उनके पुस्तैनी मकान है उनकी तरफ से हाई कोर्ट जबलपुर में पिटीशन भी दायर हुई है
यहां अतिक्रमण हटाने की सूचना मिलते हैं मुस्लिम समुदाय के लोग मौके पर इकट्ठा हो गए विवाद बढ़ा तो दोनों की तरफ से पत्थर फेके गए साथ ही नारेबाजी हुई है जिसमें कुछ लोग भी घायल हैं सूचना पर मऊगंज कलेक्टर और एसपी बड़ी संख्या में पुलिस बल लेकर पहुंच गए फोर्स ने भीड़ को वहां से खरेद दिया
मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल अपने सामने अतिक्रमण हटाने की जिद करते रहे वही मऊगंज कलेक्टर और एसपी लगातार उन्हें समझाते रहे पर वह मानने को तैयार नहीं हुई जिसके बाद उन्हें वज्र वाहन में बैठकर जबरन मऊगंज भेजा गया खबर आ रही है कि उन्हें अरेस्ट किया गया है
खबरों के मुताबिक हिंदू नेता संतोष तिवारी मंदिर के पास अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर रविवार सुबह करीब 11 बजे से ही अनशन पर थे। उनका कहना था कि 9 एकड़ जमीन में से 90 फीसदी पर मुस्लिम समुदाय के लोगों का कब्जा है। इसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जाना चाहिए।
जब प्रशासन ने दो दिन तक अतिक्रमण नहीं हटाया तो मंगलवार शाम करीब 4 बजे भाजपा कार्यकर्ता जेसीबी लेकर वहां पहुंच गए। थोड़ी देर बाद विधायक प्रदीप पटेल भी वहां पहुंच गए। विधायक ने कहा कि उन्हें अब प्रशासन पर भरोसा नहीं है। वे खुद ही अतिक्रमण हटा लेंगे। विधायक प्रदीप पटेल ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए उन्होंने चार महीने पहले भी धरना दिया था। कलेक्टर ने आश्वासन दिया था। इससे पहले भी उन्होंने कई बार ज्ञापन दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब सब्र का बांध टूट गया है।