IVF Injections: IVF के लिए महिलाओं को दिए जाने वाले इंजेक्शन और उनके साइड इफेक्ट्स
IVF Injections: जब महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, तो वे IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) का सहारा लेती हैं। IVF के दौरान, डॉक्टर कुछ स्टिम्युलेशन दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं, जिनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। स्टिम्युलेशन में शरीर को IVF चक्र के लिए अधिक से अधिक अंडे उत्पन्न करने में मदद की जाती है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, IVF प्रक्रिया में लगभग 15-17 इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि IVF कराने वाला व्यक्ति कितना फिट और स्वस्थ है। आइए जानते हैं कि IVF के दौरान दिए जाने वाले इंजेक्शनों के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं।
IVF क्या है?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को IVF कहा जाता है। पहले इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था। यह प्रक्रिया सबसे पहले 1978 में इंग्लैंड में प्रयोग की गई थी। इस उपचार में महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को मिलाया जाता है। जब इस संयोजन से भ्रूण बनता है, तो इसे महिला के गर्भाशय में वापस रख दिया जाता है। यह प्रक्रिया काफी जटिल और महंगी होती है, लेकिन यह उन लोगों के लिए वरदान है, जो कई वर्षों से गर्भधारण का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं।
क्या IVF उपचार के लिए इंजेक्शन आवश्यक है?
- ओवरी स्टिम्युलेशन के चरण में, महिला के अंडाशय में एक से अधिक अंडों के विकास में मदद के लिए इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। अंडाशय से अंडा सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से निकाला जाता है। फिर डॉक्टर इस प्रक्रिया से उत्पन्न भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करने के लिए इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। IVF उपचार में इंजेक्शन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इनके माध्यम से हार्मोन के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
IVF प्रक्रिया में कौन-कौन से इंजेक्शन दिए जाते हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, IVF प्रक्रिया में फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) का इंजेक्शन दिया जाता है। यह इंजेक्शन अंडाशय में अंडों के विकास में मदद करता है। इसके अलावा, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) इंजेक्शन, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) इंजेक्शन, गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) इंजेक्शन और प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन भी दिए जाते हैं।
IVF इंजेक्शनों के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
- पेट में गड़बड़ी या पेट दर्द, कब्ज या पेट में सूजन
- रात को बेचैनी महसूस होना
- बार-बार मूड बदलना, चिड़चिड़ापन और चक्कर आना
- सूजन या मितली आना
- तेज सिरदर्द
- छाती को छूने पर दर्द होना
- गर्मी का एहसास होना
- धुंधली दृष्टि
- वजन बढ़ना
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