Doctor Murder Case: पूर्व अधिकारियों और जजों ने न्याय की मांग की, ममता सरकार की कार्यशैली पर उठाए सवाल
Doctor Murder Case: कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में 295 प्रमुख हस्तियों, जिनमें पूर्व उच्च न्यायालय के जज और पूर्व नौकरशाह शामिल हैं, ने न्याय की मांग की है। इन हस्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह घटना न केवल कोलकाता में कुशासन और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है, बल्कि यह राज्य सरकार की पीड़ितों की रक्षा करने के बजाय अपराधियों को बचाने की स्पष्ट प्रवृत्ति को भी दर्शाती है। उन्होंने इस घटना को बंगाल में व्याप्त गंभीर खतरों और महिलाओं के प्रति असुरक्षित वातावरण का प्रतीक बताया है।
महिला सुरक्षा को लेकर उठाए सवाल
संयुक्त बयान में इन हस्तियों ने कहा कि इस मामले ने बंगाल में महिलाओं के सामने आने वाले खतरों और राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति के पतन को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या का मामला एक अलग घटना नहीं है, बल्कि यह राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का प्रतीक है। उन्होंने मांग की कि बंगाल की सरकार को इस मामले में कड़ा कदम उठाना चाहिए और एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए, जहां सभी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
संयुक्त बयान के हस्ताक्षरकर्ता
इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख हस्तियों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, पूर्व रक्षा सचिव धनेंद्र कुमार, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी, पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी और पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्व सचिव गोपाल कृष्णा शामिल हैं। इन हस्तियों ने राज्य सरकार से अपील की है कि वे इस मामले में तुरंत और सख्त कार्रवाई करें और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
कोलकाता पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
संयुक्त बयान में कहा गया है कि शुरुआत में इस रेप और हत्या को गलत तरीके से आत्महत्या का मामला बताया गया था। जब इस मामले की जांच पर सवाल उठाए गए, तो जल्दबाजी में गिरफ्तारी की गई। जब डॉक्टर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब उन पर हिंसक हमला किया गया, और इस दौरान कोलकाता पुलिस मूक दर्शक बनी रही। यह घटना बंगाल में कुशासन और कानून-व्यवस्था की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है।
संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि अब समय आ गया है कि बंगाल की सरकार इस मामले में कठोर कदम उठाए और न्याय सुनिश्चित करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि बंगाल की सरकार को इस मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए तत्परता से काम करना चाहिए और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस उपाय करने चाहिए।
इस बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि यह राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। राज्य सरकार को इस मामले में जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।