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Census: 2027 से पहले जनगणना असंभव, देरी का बड़ा कारण सामने आया

Census, जो हर 10 साल में एक बार की जाती है, भारत की जनसंख्या, उनके घरों और संसाधनों की विस्तृत जानकारी जुटाने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। लेकिन हाल के वर्षों में इस प्रक्रिया में लगातार देरी देखी जा रही है, जिससे यह अब 2027 से पहले पूरी होती नहीं दिख रही। आइए, जानें कि जनगणना में इतनी देरी क्यों हो रही है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं।

जनगणना की दो चरणों में प्रक्रिया

भारत में Census को दो चरणों में पूरा किया जाता है। पहले चरण में घरों की गणना की जाती है, जिसमें उनके संसाधनों, पशुधन, और अन्य महत्वपूर्ण वस्त्रों की जानकारी ली जाती है। यह चरण आमतौर पर 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक होता है। इसके बाद, दूसरे चरण में व्यक्तिगत जनगणना की जाती है, जो अगले साल 7 फरवरी से 28 फरवरी तक चलती है। इस प्रक्रिया से देश की जनसंख्या, उनकी आर्थिक स्थिति, शिक्षा स्तर और अन्य जनांकिकीय जानकारी एकत्रित की जाती है।

जनगणना 2027 से पहले क्यों असंभव?

कोविड महामारी और राजनीतिक चुनावों के चलते पिछले तीन सालों से जनगणना की प्रक्रिया स्थगित होती रही है। इसके अलावा, इस बार 30 लाख Census कर्मियों को प्रशिक्षित करने का कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ है, जबकि उनके लिए टैबलेट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीदारी की प्रक्रिया भी प्रारंभ नहीं हो पाई है। यह एक बड़ी अड़चन है, क्योंकि इन कर्मियों के बिना जनगणना प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती।

जनगणना कर्मियों का प्रशिक्षण

अगर 2021 की Census की तैयारियों पर नज़र डालें तो 2019 में ही मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण शुरू हो गया था। इन मास्टर ट्रेनर्स के माध्यम से 30 लाख जनगणना कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना था। हालांकि, पहले कोविड महामारी और फिर लगातार हो रहे चुनावों के कारण यह कार्य रुक गया। मास्टर ट्रेनर्स और जनगणना कर्मियों के प्रशिक्षण में देरी की वजह से भी जनगणना की प्रक्रिया लंबी खिंचती जा रही है।

Census: 2027 से पहले जनगणना असंभव, देरी का बड़ा कारण सामने आया

जनगणना के लिए बजटीय आवंटन

भारत सरकार ने 2019-20 के बजट में जनगणना के लिए 8,754 करोड़ रुपये आवंटित किए थे और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के लिए 3,941 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। हालांकि, यह बजटीय आवंटन उस समय के लिए था, जब जनगणना की योजना 2020 में लागू होनी थी। लेकिन अब, जनगणना की संभावनाएं 2027 तक खिंच गई हैं, और इसके लिए नए बजटीय प्रावधानों की आवश्यकता होगी। जनगणना कर्मियों के प्रशिक्षण और उपकरणों की खरीदारी के लिए 2025-26 के बजट में सही आवंटन होना जरूरी है।

कब होगी जनगणना?

अगर सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ तो 2025-26 के बजट में जनगणना के लिए आवंटित राशि के बाद जुलाई 2025 से प्रशिक्षण कार्य शुरू हो सकता है। इसके बाद, घरों की गणना का पहला चरण 1 अप्रैल 2026 से 30 सितंबर 2026 तक हो सकता है, और व्यक्तियों की गिनती 7 फरवरी 2027 से 28 फरवरी 2027 तक पूरी की जा सकेगी।

जनगणना में देरी का इतिहास

यह पहली बार नहीं है कि भारत में जनगणना में देरी हो रही है। 1881 से हर 10 साल में जनगणना होती आ रही है, लेकिन कई बार यह समय पर नहीं हो पाई है। 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जनगणना में देरी हुई थी। इसी तरह, 1961 की जनगणना चीन के साथ युद्ध के चलते और 1971 की जनगणना पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण देर से हुई थी।

जनगणना का महत्व

जनगणना सिर्फ जनसंख्या की गिनती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की नीतियों, योजनाओं और विकास की दिशा तय करने का एक प्रमुख साधन है। यह जानकारी सरकार को विभिन्न क्षेत्रों में संसाधनों के आवंटन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और आर्थिक योजनाओं को लागू करने में मदद करती है। इसलिए, जनगणना की देरी का मतलब है कि कई महत्वपूर्ण निर्णय और योजनाएँ भी देरी से लागू होंगी, जो देश की प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

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