Big Update: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, एक देश-एक चुनाव पर आई बड़ी अपडेट
Big Update: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 2014 और 2019 की तुलना में काफी कम सीटें मिलीं, और पार्टी पूर्ण बहुमत से दूर रह गई। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, सीटों की कमी के बावजूद बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 में किए गए अपने वादों पर काम करना जारी रखेगी। इसी कड़ी में, खबर आई है कि मोदी सरकार जल्द ही देशभर में जनगणना शुरू कर सकती है। इसके साथ ही, एक देश-एक चुनाव को लेकर भी पार्टी के शीर्ष सूत्रों से एक बड़ी अपडेट सामने आई है।
एक देश-एक चुनाव पर क्या अपडेट है?
मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र के कई बड़े मुद्दों को पूरा किया है, जैसे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाना और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करना। इसी के साथ, एक देश-एक चुनाव भी बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का एक बड़ा वादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में भी विधानसभा और संसदीय चुनावों को एक साथ कराने की वकालत की थी।
इसी कार्यकाल में बड़ा फैसला
सूत्रों के अनुसार, एनडीए सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए प्रतिबद्ध है। एनडीए सरकार की योजना है कि इस कार्यकाल में ही एक देश-एक चुनाव को हकीकत में बदला जाए। इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों से समर्थन जुटाने की भी तैयारी चल रही है।
जनगणना के लिए प्रशासनिक कार्य जारी
सूत्रों के अनुसार, देशव्यापी जनगणना के लिए प्रशासनिक कार्य भी जारी है। हालांकि, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि जनगणना प्रक्रिया में जाति का कॉलम शामिल किया जाएगा या नहीं। आपको बता दें कि कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), समाजवादी पार्टी (एसपी) जैसे विपक्षी दल और एनडीए के कुछ सहयोगी दल भी जाति जनगणना की जोरदार मांग कर रहे हैं।
एक देश-एक चुनाव की अहमियत
एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। यह योजना संसाधनों की बचत और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से बनाई गई है। इससे चुनाव आयोग को बार-बार की चुनावी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और विकास के कार्यों में आने वाली बाधाएं भी कम होंगी। इसके साथ ही, सरकार का मानना है कि इससे जनता का चुनावी थकान कम होगा और शासन की स्थिरता बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस विचार का समर्थन करते हुए कहा था कि बार-बार चुनाव होने से सरकारी मशीनरी पर भारी बोझ पड़ता है और विकास के कार्य बाधित होते हैं। सरकार का मानना है कि अगर एक देश-एक चुनाव लागू हो जाता है, तो इससे देश को आर्थिक और प्रशासनिक लाभ होगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस मुद्दे पर विपक्ष का विरोध जारी है। कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि यह कदम भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ है और इससे लोकतंत्र कमजोर हो सकता है। विपक्षी दलों का तर्क है कि देश की विविधता और राज्यों की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है।
इसके अलावा, जाति जनगणना को लेकर भी विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गहरे मतभेद हैं। कई विपक्षी दल और कुछ एनडीए सहयोगी मांग कर रहे हैं कि जनगणना में जाति आधारित डेटा भी शामिल किया जाए ताकि सामाजिक न्याय और आरक्षण की नीतियों को और मजबूत किया जा सके।
जनगणना की आवश्यकता और चुनौतियां
देश में जनगणना लंबे समय से लंबित है। आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी, और उसके बाद 2021 में इसे फिर से आयोजित किया जाना था। लेकिन कोरोना महामारी और अन्य कारणों से यह प्रक्रिया स्थगित हो गई। अब, प्रशासनिक स्तर पर जनगणना की तैयारी शुरू हो चुकी है, लेकिन जाति कॉलम पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
जनगणना देश के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जिसके आधार पर देश की जनसंख्या, आर्थिक स्थिति, शैक्षिक स्तर और सामाजिक संरचना का आंकलन किया जाता है। जनगणना के डेटा का उपयोग सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों को तय करने में किया जाता है।
हालांकि, जाति आधारित जनगणना को लेकर विवाद बना हुआ है। सरकार का एक धड़ा इसे सामाजिक समरसता के लिए आवश्यक मानता है, वहीं दूसरा धड़ा इसे विभाजनकारी कदम मानता है।