Bangladesh Protests: भारत ने बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रखी, बिगड़ने पर उठाया जा सकता है बड़ा कदम
Bangladesh Protests: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण (क्वोटा सिस्टम) के खिलाफ चल रहे आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है। इस हिंसा में कई लोगों की जान चली गई है और इंटरनेट सेवा भी ठप हो गई है। इस बीच, भारत ने इस आंदोलन को बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताते हुए स्थिति पर करीबी नजर रखने की बात की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर खुद इस पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं।
भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह
बांग्लादेश में रह रहे 15 हजार भारतीय नागरिकों, जिनमें 8,500 छात्र शामिल हैं, को सतर्क रहने और ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो भारत अपने नागरिकों को वहाँ से निकालने के इंतजाम भी कर सकता है।
भारत ने इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताया
बांग्लादेश की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा, “हम बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शनों को वहाँ का आंतरिक मामला मानते हैं। हमने भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए सुझाव जारी किए हैं। एक 24-घंटे संपर्क नंबर भी स्थापित किया गया है, ताकि नागरिक जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सकें।”
परिवारों को जानकारी पर ध्यान देने की सलाह
विदेश मंत्री जयशंकर इस मामले पर करीबी नजर रख रहे हैं। हमारे उच्चायुक्त लगातार वहाँ की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और स्थानीय प्रशासन से संपर्क बनाए हुए हैं। वहाँ रह रहे भारतीय नागरिकों के परिवारों को भी हमारी जानकारी पर ध्यान रखने की सलाह दी गई है। हम अपने नागरिकों की हर संभव मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शेख हसीना के लिए राहत की खबर
भारत का इस पूरे मामले को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानना प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए राहत की बात होगी। प्रधानमंत्री हसीना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर भारत और बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत किया है। ध्यान रहे कि 2023 में जब एक भाजपा नेता ने विवादित टिप्पणी की थी, तो कई मुस्लिम देशों ने इसकी निंदा की थी, लेकिन शेख हसीना की सरकार ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया था।
कट्टरपंथी समूहों का समर्थन
भारत बांग्लादेश के कई शहरों में हुए हिंसक प्रदर्शनों को लेकर चिंतित है। एक कारण यह है कि इस आंदोलन को कुछ कट्टरपंथी समूहों का समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री हसीना ने भी विपक्षी पार्टियों बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पर आंदोलन को हिंसक बनाने का आरोप लगाया है। भारत को आशंका है कि जमात जैसे कट्टरपंथी धार्मिक दल की भागीदारी आंदोलन की स्थिति को और बिगाड़ सकती है।